औरत
From विकिपीडिया
इंसानों में मादा को औरत कहतें हैं जबकि नर को आदमी कहतें हैं । औरत होना एक मादा इंसान के जीवन का वह अंग है जिसमें वह लड़की होकर बडी़ हो चुकी है ।
इंसानी मादा बच्चे को लड़की कहतें हैं, जबकि नर को लड़का कहतें हैं । लड़की बडी होने पर औरत कहलायी जाती है ।
[बदलें] लिंग
लिंग के हिसाब से देखा जाए तो औरतों में कई ऐसी विशेषताएँ हैं जिनसे उन्हें मर्दों से अलग किया जा सकता है । लडकियाँ लडकों से कम पैदा होती है पर विश्व में उनकी संख्या ज़्यादा है । इसका कारण यह है की मर्दों में मृत्यु-दर अधिक होती है और औरतें औसत मर्दों से ५ वर्ष ज़्यादा जीती हैं । इसके कई कारण है जैसे कि जेनेटिक्स, लड़ने के लिये ज़्यादातर मर्द जातें हैं, औरतें सिगरेट या शराब का इस्तेमाल कम करती हैं, वगैरह । बडी़ होने के बाद ज़्यादातर औरतें गर्भवती हो सकती हैं और बच्चे पैदा कर सकती हैं । लगभग ५० साल की उम्र के बाद औरतें बच्चे नहीं पैदा कर सकतीं हैं ।
ज़्यादातर औरतों को वही सारी बिमारियाँ होती हैं जो मर्दों को होती हैं लेकिन कुछ ऐसी बिमारियाँ है जो औरतों को ज़्यादा या केवल औरतों को होती हैं ।
[बदलें] औरतों के कानूनी हक
देखें औरतों के कानूनी हक
[बदलें] औरतों की घर और समाज में भूमिका
मुख्य लेख: लिंग की भूमिका
ऐतिहासिक तौर पर औरतों की भूमिका में काफ़ी फ़र्क आया है । परम्परागत तौर पर मध्य वर्ग में औरतों की भूमिका घरेलू कामों से जुडी़ रहती थी जैसे कि बच्चों की देखभाल करना और ज़्यादातर औरतें पैसे कमाने नहीं जाती थीं । गरीब औरतों में, खासकर के मेहनती वर्ग में पैसों की कमी की वजह से औरतों को काम करना पडता था हालांकि औरतों को दिये जाने वाले काम हमेशा मर्दों को दिये जाने वाले कामों से प्रतिष्ठा और पैसों दोनो में छोटे होते थे । धीरे-धीरे, घर की औरतों का काम न करना धन और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाने लगा जबकि औरतों के काम करने का मतलब उस घर को निचले वर्ग का गिना जाता था । पिछ्ले कुछ दशकों से औरतों को हर तरह से मर्दों के बराबर माना जाता है और उन्हें मर्दों के जितना ही मौका देने की कोशिश की जाती है ।